पुष्प!
देखने में कितने अद्भुत होते हैं,
पर उसके पास बैठकर
हमेशा के लिए
उसकी प्रशंसा नहीं की जा सकती।
समय के मौन में
अपनी सुंदरता धारण किये हुए
नए जीवन में परिणत होते हैं, पुष्प।
वैज्ञानिक तौर पर देखा जाए तो
प्रकृति पुष्प की सुंदरता पर कुछ
लुभावने खर्च करती है।
ताकि परागण की प्रक्रिया के लिए
एजेंट आकर्षित हो सकें।
“आकर्षण”,
यही मूल में रहा
इतने रंगों का सार, कोमल पत्ते ,
अद्भुत मादक सुगन्ध और आकर्षण।
सौन्दर्य के प्रशंसक बगीचों में टहल रहे हैं,
निहार कर निकल गए, कैसे अद्भुत फूल ।
प्रतियोगिया हुई,
“गमलों में किसके कितना दम”,
प्रशंसक जुटे ,
शो समाप्ति के बाद,
एक आधा फोटो हुई
फिर बजट संध्या जैसी
आम जीवन की गहमा गहमी
वही अगला दिन।
जिसके कब्जे में
सुंदर ,अजूबा सरीखी प्रजातियाँ थीं
वो भी मन बहलाने के लिये
बगल में खड़े होकर
फोन पे कहीं और बात कर रहा था,
उसके बारे में तस्वीरें भेजकर ,
कलेक्शन की नुमाइश कर रहा था।
इतने रंग , पैटर्न, इतनी सुंदरता के बावजूद,
पुष्प बड़े अनभिज्ञ से टक लगाए
जहाँ लगा दो लगे रहते हैं।
लेकिन उन्हें कई तरह के आभास होते हैं
कि कौन माली है और कौन दुकानदार।
उन्हें पता होता है कि जितना क्षणभंगुर
उनका असर है मनुष्य की सर-सरी निगाह पर
उतना ही उनका खुद का संसार।
इसलिए जिस निमित्त आये हैं उसे
पूरा कर सुखी रहते हैं पुष्प।
#प्रज्ञा
Pic Courtsey – Deepika Kolaskar