आज हमने बेड टाइम स्टोरीज़ के लिये #जुगनू #प्रकाशन की “मिट्टी की गाड़ी उठाई” ।

हमारी आज की कहानी रही – “ झील इसलिए सूख गई” ।

साइबेरिया के प्रवासी पक्षियों और सुंदर चित्रों से आकर्षित हो कर अभिज्ञान गूगल पर और कुछ चित्र दिखाने की बातें करने लगा , पर जैसे जैसे कहानी के मर्म की पकड़ उसे हुई वो चुप चाप सुनने लगा।

कहानी समाप्त होने के उपरान्त वो कहता है –

मम्मी पक्षियों के भी दिल होते हैं, उनको नहीं मरना चाहिए , वो भी रोते हैं“।

इसके साथ उसने हिंदी की गिनती सुनी , 60 को “sixty” के अलावा “साठ” की तरह , और 50 को “fifty” के अलावा ,”पचास” की तरह भी देखा जा सकता है ,उसने गौर किया ।

उसने 1229 देखा और बोला , ‘ये ones , tens,hundreds, के बाद मम्मा? ”

“बेटा, फिर thousands है।”

“हाँ , मुझे मालूम है!”

अच्छा!

“पूरा क्या बोली थी?”

“एक हज़ार , दो सौ उन्तीस”

“हैं?”

One Thousand Two Hundred Twenty Nine.

“हाँ।”

अभिज्ञान सो गया।

पर कहानी से मुझे सीरिया की याद आ गई।

जहाँ मासूम बेगुनाहों का खून गिरता है, वहाँ सब सुख जाता है….जैसे यह झील। आज भी यह खून गिर रहा है। एक दिन यह धरती भी सूख जाएगी।”

यदी इसे पढ़ कर किताब के बारे में और जानने और ऐसी लीक से हटकर लिखी किताबें अपने बच्चों के लिए लेने का मन करे तो http://www.ektaraindia.in को विज़िट करिये ,मैं यही करती हूँ ।

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