ये नजाने कैसी आग थी
जिनसे मचिस की तीली को
उम्र कैद की सजा हुई।
मुक़दमे में पता चला
इसे भड़काया गया था
पत्थरों को रगड़ कर
चिंगारी फिर हवा फिर
लपट बन कर ।
ये पत्थर कहाँ से आये
कौन इनको हुनर सिखाये
जो लोग आतिशबाज़ी
की चाहत में थे
बड़ा मज़ा आया उनको
जलती टहनियां,चिंगारी
फिर हवा फिर
लपट चख कर।
बुझाने वाले भी जले
जलाने वाले भी जले
आग को सीरत की पहचान नहीं
सिलसिला चला
आज भी कायम है
पर कुछ लोग
बेखबर होने को
महफूज़ कहते हैं।
एक पूरी नस्ल सो रही थी,
जब उसकी पहचान राख हुई
धधक को चिंगारी समझ कर।
-प्रज्ञा, 28 जुलाई 2016
वाह 👌👌👌
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धन्यवाद
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