इसको जी भर के शार्पनर कटर पेंसिल रबर
यूज़ करने देती हूँ।
जा जी भर छील जितने छिलने हैं ,
डॉम्स नटराज अप्सरा के रंग रोगन वाली
ग्रेफाइट की डंडियाँ ।
मैं किसी खास दिन के लिए नहीं बचाऊंगी ,
क्योंकि आज़ादी को वैसे भी सत्तर साल हो गए हैं
और मूल भूत सुविधाओं में तुझे
जब मर्ज़ी चॉकलेट खाने की आज़ादी दी गई है।
अंतर्मुखी और बहिर्मुखी
एक साथ होना भी
अजीब परेशानी है
कभी तो एक साँस में
भीड़ सम्भाल लेना
कभी खुद भीड़ में
कहीं खो जाना
जैसे नाते हैं न धाम
बस की खिड़की पे
केहुनी टिकाये
उँगलियाँ चलती रहती है
मानो सितार बजाया जा रहा हो
हिंदी कहानीकार अंकिता जैन जी का कार्यक्रम “राहे-क़दम” आज कल हर सोमवार शाम में यू ट्यूब पर आ रहा है । आज उन्होंने जिस लेखक की बात की उनके बारे में मैंने कभी नहीं सुना था।
“पदम भूषण कृशन चन्दर” ।
कार्यक्रम देखने के बाद मैंने कृशन चन्दर जी को गूगल किया , स्वाभाविक तौर पर विकी पेज खुला। वहाँ ज्यादा कुछ नहीं लिखा उनके व्यक्तित्व और शैली के बारे में।छोटी सी जीवनी है और कहानी किताबों के नाम।
कृशन चन्दर जी के स्टाइल और व्यक्तित्व का ब्यौरा अंकिता जी के जनरल डिब्बा पर बड़ी मधुरता से बस छह मिनट में सुना जा सकता है।
राहे कदम एपिसोड 2 देखने के बाद ये समझ आया है कि हम मुख्यधारा में व्यंग्यात्मक शैली पढ़ने वाले हैं।
अच्छा बैकग्राउंड स्कोर, तंग करने वाले कोई विज्ञापन नहीं, पूरी रोचक जानकारी । “एक गधे की आत्म कथा ” के लेखक की जानकारी।
मेरी समझ से समाज की अनियमितताओं को जीने के बाद से कृशन चन्दर जी के अंदर व्यंग्यात्मक शैली को खूब पनप मिली।
इंटरनेट पर काफी सारे कन्टेन्ट हैं लेकिन इस तरह का एक कर्यक्रम हमको उम्दा जानकारी तक लेकर जाता है। वक्ता, श्रोता तक सही बात पहुंचाने के लिए और उसका सारांश बताने के लिए काफी पढ़ते हैं।
ऐसे एफर्ट्स से नो डाउट हमें फिल्टर्ड और बेहतरीन जानकारी हाथ लगती है। इसका लाभ उठाना चाहिए। होमवर्क की तरह उन लेखकों के बारे में और छान बीन करनी चाहिए इससे कार्यक्रम का उद्देश्य भी सफल होगा और यदि हम स्वयं भी लिखने के शौकीन हैं तो शब्द भंडार और दृष्टिकोण भी बढ़ेगा।
स्क्रॉल करते करते अचानक पिट्सऑडियो पर नज़र गयी तो देखा वहाँ ” एक गधे की आत्म कथा” का ऑडियो मौजूद है। कहानी सुनते सुनते हँसे बिना नहीं रहा जा सकता ।सामाजिक और राजनैतिक कुरूतियों को इतनी सहजता से लिख जाना बेहद मुश्किल होता है