“लूसी” मूवी में स्कारलेट जोहन्सन को अचानक बहुत सारा ज्ञान आने लगता है वह दिमाग तीस प्रतिशत प्रयोग करने लगती है। सौ प्रतिशत सीमा प्रयुक्त होते उसकी कोशिकाएं क्षीण होकर हवा में तैरने लगेंगी इस डर से वह फटाफट न्यूरो साइंटिस्ट से मिलने निकलती है ताकी उसका ज्ञान समाज कल्याण में प्रयुक्त हो सके । वह कहती है कि अधिक जानकारी होने से उसकी मानवीय संवेदना क्षीण हो रही है और वह कम भावुक महसूस कर रही है।

अचानक एक सीन आता है जहाँ एक्शन सीकवेन्स में डरे हुए पुलिस अफसर को वह संवेदनाओं से परे होकर एक फ्लैट डाइलॉग बोलती है ” वी नेवर रियली डाई” और चलती कार में आंखों के सामने कंप्यूटर ड्रॉ कर मूव तय करती है ।

लेबोरेटरी में पहुँचते से लूसी अपनी ज्ञान ऊर्जा सहन की जा सकने वाला पावर सिस्टेम तैयार करती है। वह ब्लैक कलर के भव्य सूपर कॉमप्यूटर में खुद को तब्दील कर के एक छोटे से पेन ड्राइव में इज़ीलि एक्सेसिबल एंड अंडरस्टुड नॉलेज बन कर ट्रांसफर हो जाती है , आखिरी सीन में पूरे लैब में ब्राहमण्ड से आने वाले आवाज़ की तरह वो ज्ञान पिपासू वैज्ञानिकों से केवल ध्वनि रूप में बात करती है जैसे सर्व व्याप्त हो गयी हो।

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