आधा जला पन्ना

किताब का
रखना पड़ेगा सहेज
कई दिनों तक

अभिन्न अंग जो ठहरा

न जाने क्या बात थी
इसमें दर्ज
जो सालती रहेगी
याददाश्त के जाने तक

मुम्बई, 31 अगस्त , 2.31AM

प्रज्ञा

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