काश की ऐसा होता एक ज़िन्दगी होती तुम्हारी मेरी और मेरे इनबॉक्स में तुम्हारे फिक्र भरे मेसेज की जगह तुम्हारे हाथों से कौर खाना मामूली हर दिन का एक वाक्या होता।
तुम मटर के दाने साथ छुड़ाते खाते भी जाते मैं चट हाथ पर मारती और खाना बनाने से खाने तक का कार्यक्रम दुनिया भर की बातों के साथ होता।
तुम्हारी बातों में जितनी फिक्र मिलती है ठीक वैसे काश जब तब आँख बंद कर के तुम्हारे गले लगने का मौका मिलता।
किताबें साथ पढ़ते कभी कॉफी बनाती कभी तुम चाय बनाते। जिस दिन मन होता क्लासिकस कई फिल्में देखते मैगी साथ खाते।
कभी किसी रोज़ तो तुम ना पसन्द होने पर भी बस मेरे लिए पिज़्ज़ा मंगाते।
तुम मेरे तो हो काश मेरे होते।
मैं तुम्हारी तो हूँ काश तुम्हारी होती।
गलतफहमियों के दौर शायद कुछ कम होते जो हम साथ हरदम होते। हम दम होते।
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बहुत अच्छा ❤️
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धन्यवाद
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ਖ਼ੂਬ…
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आपने क्या लिखा मैं समझ नहीं पायी
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खूब… मतलब खूबसूरत.. 💐
Sorry, कि मदर टंग इस्तेमाल की आपके लिए..
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नहीं नहीं यूँ तो मैं गूगल ट्रांनस्लेटर का प्रयोग कर सीधे धन्यवाद ज्ञापित कर सकती थी लेकिन इससे परस्पर मानवीय संवाद की संभावना समाप्त हो जाती 😃
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ओह.. सचमुच काबिल-ए-तारीफ़ हो आप..
क्यूँ कि आप को इस बात का खूब पता है कि आप कौन हो, कहां से से हो, क्या करते हो? से पहले…. हम एक इन्सान हैं।
मुझे लगता है,
कि शायर/कवी /लेखक वही अच्छा है,
जिसने अपने अंदर के इन्सान को, अपने मन के बच्चे को जिंदा रखा हुया हो।
आप वोह हो।
आपकी तारीफ का कोई भी दूसरा जा तीसरा मकसद नहीं है, आपसे संवाद करके जो दिल में आया वोह जुबां पे भी ले आया। आपसे संपरक साध कर, आपसे बात करके बेहद खुशी मिली।
सदैव खुश रहो आप , दुआएं…. 💐💐
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जी आभार, मैं देवनागरी या रोमन स्क्रिप्ट में लिखी पंजाबी पढ़ कर समझने की कोशिश करती हूँ , शिव बटालवी के कुछ गीत अच्छे से समझे मैंने और अमृता प्रीतम जी की लिखी कविताएँ मुझे हिंदी अनुवाद से अधिक पंजाबी में सुन्ना अच्छी लगती है। मैं पंजाबी थोड़ी बहुत बात चीत में समझती हूँ, खालसा कॉलेज दिल्ली से पढ़ी हूँ मैं वहाँ मित्र सिख या पंजाबी मीले। मुझे संस्कृति बहुत पसंद है पँजाब की।
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उम्दा जी…
चलो कोई बात नहीं, जो जिस भाषा में समझता हो उनसे उसी भाषा में बात करनी चाहिए! खामख्वाह आप क्यों तकलुफ करें, कोई जरूरी नहीं जी। मैं आपसे हिंदी में ही बात किया करूंगा। बस जटिल शब्दों का प्रयोग मत कीजिएगा!
हांजी, शिव कुमार बटालवी और अमृता प्रीतम पंजाबी कविता में उच्च कोटी के कवी/ लेखक हैं। अमृता जी की लिखत पर तो एक मूवी भी बनीं थी, “पिंजर”
खैर, दिल्ली तो बस एक दो बार ही आना ही हुआ मैम। वोह भी एअरपोर्ट तक बस। रही बात दिल्ली के सिक्ख कम्युनिटी की, है तो वोह भी हमारे लेकिन महानगरों के जमपल बंदे और मेरे पंजाब के गांव के भोले भाले बंदों में जमीन आसमान का फरक है।
आपको पंजाब की संस्कृति पसंद है, धन्यवाद जी।
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Lots of luv from punjab 💞
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अरे वाह , शूक्रिया !
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मेरा सौभाग्य… 😊
बस थोड़ा सा यह महसूस हो रहा है कि मैं आपके लिखे शब्दों को दिल में उतार सकता हूँ, मगर आप मेरे शाब्दों को समझ नहीं सकोगे।
क्यूंकि मैं हिन्दी लिख सकता हूँ, बोल सकता हूँ, समझ सकता हूँ.. मगर आप मुझे मेरी मदर टंग (पंजाबी)मे समझ नहीं पाओगे मुझे !
बस इतनी सी बात है.. 😊🎵🎼😊
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एक बात और बताना चाहूंगा आपको, कि मैं तकरीबन 2013/14 से ब्लॉग चला रहा हूँ, लेकिन आज तक किसी और के ब्लॉग को ना तो फॉलो किया ना किसी से कोई बात चीत..
मेरा सौभाग्य है कि मैं यहाँ पर पहली वार वार्तालाप की है और वोह भी आपसे…
शुक्रिया आपका, जो आपने इतने आदर और प्यार सहित हमें हमारा उचित स्थान दिया।
🙏💐
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति दी है… बधाई, शुभकामनाएं, हेमन्त मोढ़….
filmvisualizer@gmail.com
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धन्यवाद
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