बड़े पापा की प्रेरणा और आशीर्वाद से मुम्बई में दादी माँ की पुण्य तिथि के उपलक्ष्य पर ब्राह्मण भोजन कराने का सुअवसर मिला।

हमेशा सोचती हूँ मेरा विवाहोपरांत जीवन काश वे देख पातीं।

पापा कहते हैं, भगवान जो होते हैं उनके आगे भक्तों की लाइन लंबी है, सुनवाई में देर है, लेकिन तुम्हारी दादी माँ अपने आसन पर केवल तुम्हारा सुनने के लिए ही बैठी हैं , वे तुम्हारी सबसे निकटतम भगवान हैं।

आज पापा की खुशी के शब्द:

वाह! बहुत सुंदर बेटा। शायद मां की तृप्ति बगैर तुम्हारे अधूरी थी। इसलिए भाईजी की प्रेरणा तुम तक पहुंची। तुम्हारी दादी मां आज तृप्त होंगी ऐसा मुझे आभास हो रहा है। सदा कल्याण हो।