माँ सरस्वती आप सब के और हमारे भी घर स्थिर लक्ष्मी
बनाएं रखें जिससे की हम सभी अच्छा खाएं, पहनें ओढ़े,
घूमें फिरे, स्वस्थ रहें, खुशहाल रहें, दान पुन करें , महंगी किताब भी खरीद पढ़ सकें, किताब दोस्तों में बांट सकें , ड्रॉइंग पेंटिंग कलरिंग के ख़र्चे भारी न पड़ें, गायन-नर्तन के शौक पर नौकरी की कटारी न पड़े।

देश देखें विदेश देखें अच्छा-अच्छा लिखें पढ़ें, नई सोच का संचार होवे, वसुधैव कुटुम्बकम में कुटुम पर प्यार बरसावे लेल बल बुद्धि दोनों बढ़े। सब की बुद्धि न्यारी जाए वारी जाए। बच्चे जिस कला में आगे बढ़ना चाहें माँ बाप को पाकिट नहीं देखना पड़े। माँ शारदे झोली भर-भर किरपा करें।

ओम_एंग

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