2020 ज़्यादातर विशिष्ठ प्रतिभा वाले लोगों को हमसे छीन कर ले जा रहा है जो अपनी मेहनत लगन से दुनिया को एक बेहतर जगह बनाते हैं, रोज़गार के नए अवसर पैदा करने की क्षमता रखते हैं और जो बाज़ार , राजनीति , देश, दुनिया या भारत को व्यापक स्तर पर लाभ पहुँचाने वाले तकनीकी विधाओं की समझ रखते हैं, जो उन्होंने महाविद्यालयों में अर्जित नही की है बल्कि जूझ कर पढ़ कर देश दुनिया घूम कर अर्जित की है।
यह वाकई चिंता जनक है। अब काल के गर्भ में हम सब के लिए क्या छिपा है यह कोई नहीं जानता, परंतु एक बात तय हम देख रहे हैं कि समय बहुत सावधानी और प्रेम पूर्वक रहने का है। मानसिक संबल बनाये रखना का है, हमें उच्च ऊर्जा की स्थिति में शरीर और मन को रखना चाहिए। कुटिल और अनैतिक व्यवहार से दूरी रखनी चाहिए। अपने बच्चों को अधिक से अधिक प्रेम करना चाहिए। जो विशिष्ठ लोग धरती से जा रहे हैं उनके एवज में अपनी ज़िम्मेदारी समझनी है कि हम किस योग्य हैं और क्या केवल एक मध्यम वर्गीय जीवन जीकर चले जायेंगे या एक निश्चित कार्य को पूरा कर के ही जाना है हमको।

किसी धर्म या पंथ के प्रति वैमनस्य की भाषा का प्रयोग दिल दिमाग को ठंडा कर दूर करने का प्रयास करना ज़रूरी है क्योंकि अव्वल तो विपदा में धार्मिक कर्मकांड काम आता नहीं, व्यक्तिगत आस्था और विश्वास ही काम आते हैं। धार्मिक प्रपंच केवल गंदी राजनीति में काम आ रहा है। दूसरा, इंसानियत ही धर्म है जिसका किसी वर्ग , रंग, जाति से लेना देना ही नहीं है। इंसानियत ही वो मौलिक भावना है जो जन्म लेने के बाद और मृत्युपर्यंत हमारे भीतर बनी रह सकती है। ज़रूरी है इसे और ज़्यादा पुष्ट करें।

ये साल अभी और भारी जाने वाला है , जीवन किधर ले जायेगा आगे के महीनों में और क्या क्या दिखायेगा कहना बहुत मुश्किल, इसलिए अपने अपने विश्वास के मुताबिक उच्च स्तरीय सोच का ही मार्ग अनुसरण करें तो मानसिक शांति है , वर्ना आदमी की औकात धरती पर एक धेले से ज़्यादा और कुछ नहीं। हम पनप गए तो इसका मतलब यह नहीं की धरती के गर्भ में होने वाली और प्रकृति में होने वाली गतिविधियाँ हमें देख चुप हो जाएंगी, उनका चक्र है चलेगा ही, धरती पर प्राकृतिक या मानव निर्मित कारणों से में जो परिवर्तन होने हैं होंगे ही हम रहें न रहें इससे इस सूर्य को , ब्रह्मांड को और इसके एक जल धारी ग्रह पृथ्वी को कुछ लेना देना नहीं।

Pragya Mishra

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