मेरी ननद विभा दीदी, कर्मठता, स्वाभिमान, साहस, बुद्धि और नैसर्गिक सौंदर्य की अधिष्ठात्री हैं । मैं अंशू-मोनू के पापा को बोलती हूँ कि उनकी चारों बहनों को पलक पर रखें वे क्योंकि वाकई ऐसी बहनें हैं जो नसीब से मिलती हैं। मैं इस जीवात्मा स्वरूप में ईश्वर का हमेशा धन्यवाद देती हूँ मैं घर, बाहर या सोशल मीडिया पर भी ऐसी विलक्षण स्त्रियों के सान्निध्य में आयी हूँ जो अपने आप में मिसालें हैं। चाहे वे मुख्य रूप से गृह संचलिकाएँ हों, या कामकाजी हों । सबसे अद्भुत होता है अपनी ही विलक्षणता से अनभिज्ञ होते हुए उसे निरन्तर जीते रहना।
कोई अवसर नहीं आज बस एक रविवार है और कुछ ख़्याल बस यूँ ही। धन्यवाद कहने और प्रेम जताने के लिए उम्र कम है। मैं उनको और जीजा जी को कॉल पर भी बताती हूँ कि वे मेरे लिए कितने अज़ीज़ हैं। परिवार के सभी लोगों में यूँ तो सभी प्यारे होते हैं लेकिन कोइ ऐसा हो जाता है जिनसे दिल कनेक्ट कर जाता है। जब भी बात होती है दीदी से बड़ा अच्छा सा लगता है । तमाम तरह की दुनियादारी में अनाड़ी मैं बहुत सारे ज़रूरी काम समय पर आपके मार्ग दर्शन से कर पायी हूँ जिनके न कर पाने से असंतुलन हो सकता था।
हमारे जीवन मे माँ के रूप में जो स्त्री होती है उसकी आजीवन हमें ज़रूरत होती है चाहे आप पुरूष हैं या महिला । आपके व्यक्तित्व की सघनता या दुर्बलता इस बात पर निर्भर करती है कि आपकी माँ के साथ बचपन में आपके कैसे सम्बन्ध थे औऱ आज भी वो आपके जीवन में मौजूद हैं या नहीं। बड़ा ही मनोव्यज्ञानिक सम्बंध है। यह छवि देखी है इनमें। अच्छा जा रहा है सफ़र।
विभा दी बातों बातों में मुझसे हँसी में कहती हैं कि उन्होंने भी टी. एन. बी. भागलपूर से होस्टल में रहकर पढ़ाई की है और संस्कृत जैसे कठिन विषय से टॉपर रहीं। वे चुटकी लेती हैं कि समय ने थोड़ा औऱ दुलार दिखाया होता तो वे भी हाकिम से कम न होतीं। वैसे उनके हाव भाव कलक्टर से कम नहीं।
मेरी सास को अपनी चारों बेटियों की कर्मठता पर गर्व है। होना भी चाहिए। मैंने देखा है किस तरह लोहा लिया हैं चारों ने जीवन से। यह लिखते समय मैंने एक बहु को अपने बगल में बैठा दिया है और केवल तटस्थ उस व्यक्ति की तरह लिख रही हूँ जो किसी व्यक्ति को केवल उसके गुणों और जीवनानुभवों के लिए चुप चाप देखता है। परस्पर सम्बन्धों की अपनी खट्टी मीठी परतें होती हैं वे हमारे व्यक्तित्व के विकास का हिस्सा हैं उन्हें लेखन से लेना देना नहीं होता उनको साथ जीना होता है।
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मुबारकबाद कि आपको ऐसी नन्द लोग मिलीं ।।
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