तुम प्रेम ही हो
वो जो हेमशा रहा है
हमेशा रहेगा
अद्भुत है प्रेम को देखना
नहीं मालूम था कि
ऐसा दिखता होगा प्रेम
थोड़ा सा हैंडसम
थोड़ा नर्म दिल
थोड़ा अंजान मुसाफ़िर सा
दिल मे घर कर जाए
फिर कभी न जाये
कोई अपना सा
क्या कहूँ
तुम कितने अच्छे लगने प्रेम।
किसी बच्चे की गाल पर गाल
रख देने का ख़ूबसूरत एहसास
ऐसे महसूसते हैं प्रेम।
प्रज्ञा मिश्र
10 अगस्त 2020
10:06 AM
मुंबई
अदभुद
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सुंदर एहसास 👌
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उसे प्रेम कहे या इश्क कहे
प्रेम बदलता रूप सदा
प्रेम अर्थार्त आवश्यकता पूर्ति
इंसान,प्राणियों से करता सदा।।
करो तो करो इश्क करो
माँगे समर्पण वो सदा
त्याग,बलिदान होता परिभाषित
इंसान ही करता इश्क सदा।।
नही मोल कोई उसका
ना आंकलन कोई कर सके
नज़रो की चाहत नज़रो तक सीमित
आजीवन पवित्रता बसे ।।
कहते इश्क सदा उसे
नही प्रेम कहे यहाँ
प्रेम बदलता रूप अपने
एक अनुभव लो आप यहाँ।।
धूप पसंद होती सबको
जब सर्दि आती हैं यहाँ
सब घरों से निकलते,बोले
धूप से प्रेम हुआ यहाँ।।
गर्मी में वही धूप अखरती
प्रेम बदलता रूप यहाँ
अब छांव होती पसंद
नही धूप का काम यहां।।
ऐ दोस्त अनजान ना बनो
प्रेम की परिभाषा समझो यहाँ
इश्क तो होता किस्मत से है
जैसे मीरा को कृष्ण से हुआ यहाँ।।
नही चाह थी उसकी
आलिंगन कृष्ण सँग करू यहाँ
फिर भी कर दिया जीवन समर्पित
था मीरा उसका नाम यहाँ।।
प्रेम नही था इश्क था वो
था समर्पण भाव वहाँ
पूरी दुनिया एक तरफ
मीरा भक्ति एक तरफ यहाँ।।
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बहुत बहुत आभार अच्छी कविता
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ThankS
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Telegram par mera channel bhi join karein 🙏 “shatadal”
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आपकी आवाज बहुत मधुर हैं
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Abhar
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जी, अदभुत होता है प्रेम 👌
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