2016 में आज के दिन पापा को असम में मिथिला विभूति सम्मान मिला था। बहुत गौरव का क्षण था वह।

मैं बहुत प्रेरणा पाती हूँ मेरे पापा से। परिवार में पापा ऐसे व्यक्ति हैं जिनके भीतर हमने 1965 से अब तक और भविष्य के बीच का सहज सामंजस्य देखा है , जिनमें अगणित कहानियाँ घर पाती हैं और स्मित के साथ पापा सारी कहानियों का निचोड़ किसी कहावत की तरह हम पांचों भाई बहनों को सुनाते रहे हैं। वे हमारे अमिताभ बच्चन हैं, दिलीप कुमार हैं , आमिर खान हैं, निराला और रामधारी भी हैं।

पापा अद्भुत हैं। कितने गहरे हैं ये हम में से कोई नहीं सकता।

पापा को कम समझने की ग़लती मैने भी समय समय पर की है पर मेरी कमियाँ हरदम क्षम्य मानी गयीं। यही बेटी होने का सुख रहा।

साहित्य के साथ जीने के बराबर है पापा के साथ जीना , एक एक शब्द एक एक क्षण उपन्यास का कोई पन्ना जिसके आगे आप झट से पलट कर जानना चाहने लगते हैं कि आगे क्या आने वाला है।

व्यक्तित्त्व का धनी होना क्या होता है ये मैने उनको देख देख अनुभव किया है।

दादी माँ ने बड़े अद्भुत बच्चे जने। सभी अपने अपने घर शहर का उजला सितारा हैं

मुझे भी मेरे पापा की तरह सफल होना है। उनकी सोच की क्षमता का अंश भर भी आ जाये तो कलम से फूल झरने लगें जो आज पतझड़ हैं।

हम सभी माँ बाप बनने के बाद अपने माँ बाप जैसे ही सौभाग्यशाली होना चाहते हैं। क्योंकि जीवन की नदी में तैरते ये समझ आने लगता है कि गोमुख कितना दुर्गम और पवित्र था और हम वहाँ से यहाँ तक लाये गए। धाराएँ हमारे लिए पत्थरों से टकरायीं , समय से लड़ीं एक नयी दुनिया तक संतति को भेज देने के लिए।

पापा
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