मीत मेरे तुम मन मे जब भी
उमड़ उमड़ के आते हो
जाने कहाँ से प्रेम की पाती
उसी समय भिजवाते हो
गीत लिखे हैं प्रीत लिखी है
और लिखा है चंचल मन
शब्द तुम्हारे मोती जैसे
बजता कानो में सरगम
दिल की बातें पढ़ने वाले
छुपे छुपे तुम क्यों हरदम
कभी कभी यूँ मिलने भी
ऐसे ही आ जाना तुम
प्रज्ञा मिश्र
9/1/2021
खुद की आवाज में दिया गया स्वर इस कविता के लिए सटीक है शुभ स्नेह हिंदी दिवस की शुभकामनाएं
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धन्यवाद
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