गले_लगाना

गले लगाना बच्चों की तरह
जब तब बेवजह
तबियत हरी तरोताज़ा
मन हल्का और
मासूमियत बरकरार रहेगी

खून में ऑक्सिटोसिन का बढ़ना
खुशहाल ज़िन्दगी का रसायन है
नियंत्रण में रहेगा ब्लड प्रेशर
प्यार की उम्र लंबी रहेगी

मस्तिष्क का सारा कोलाहल
बस कांधे पे सर रखने से
नहीं हो रहा शांत
तुम्हारे स्नेहपाश का बोध भी
आवश्यक है कभी कभी।

जीविकोपार्जन की मध्यमवर्गीयता में
चेहरे की मांसपेशियाँ भूल गयीं मुस्कराना
बच्चा पूछता रहता है
“मम्मी गुस्सा हो तुम?”
“नहीं शक्ल ही ऐसी है।”
“शक्ल ही ऐसी है?”
और फिर झट से दुलार में
लपेट लेना बचपन कहना
“नहीं बेटा मम्मी टेड्डी जैसी है।”

Pragya Mishra

hugday2021

5.00pm
13 Feb 2021

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