शतदल का नया यूट्यूब चैनल बनाया है । नाम रखा है “शतदल साम” । शतदल का मतलब होता है कमल और साम का।मतलब होता है पवित्र । “शतदल साम” का श्रीगणेश अपनी दादी माँ आदरणीय परमपूज्य स्वर्गीय श्रीमती चन्द्रप्रभा झा की स्मृति में लिखी कविता “आम का अचार” से हुआ। मेरा सब कुछ उनको ही अपर्ण है उन्ही का नाम हर नाम के गुम जाने के बाद बचा रहेगा। यूँ तो यह वीडियो मेरे जानकार मित्रों और परिवार में क़ई बार देखी जा चुकी है फिर भी इसकी एहमियत बाकी है अभी।
लोग छूट जाते हैं, चले जाते हैं, अचानक हवा हो जाते हैं, कोई नहीं बचता एक दिन आँचल भरकर गले लगाने वाला क्योंकि जब तक वो थे हो सकता है नए दोस्त, नया मोबाइल, नई नौकरी, या कोई प्रेमी छद्म प्रिय बनकर सारे मन शरीर पर आच्छादित हो कि जाने वाला जा रहा है, रूह बन कर मिलने आ रहा है ,छू रहा है देह का कोना कोना , पर तुम धोखे में उस छुअन को कुछ और ही समझ बैठे , अरे हट कर बैठे , की अब तक रूहें हई नहीं विज्ञान में।
घर यही है ,
यहीं मिलना होगा,
यहीं रहना होगा,
यूँ ही तलाशते इक रोज़ चले जाना है
फिर वापिस आने के लिये
फिर तुमको पाने के लिये
अब होती नहीं मोहब्बत
कि सब कहने लगे मतलबी कभी मौकापरस्त
अपना इंतज़ाम किसी और दुनिया में करना होगा
खुसरो तुमको निज़ाम के जाने के बाद
लिख कर ही सही गुज़ारा तो करना होगा
जिस जन्म में उनको जाते नहीं देख पाए
उसको जीना भी हर दिन मरना होगा
बंजारा मन चलता रहा,
जो मन आया कहता रहा
उकेरता रहा रेत में पदचिन्ह ,
पदचिन्ह उड़ते रहे
बनकर बालू के टिब्बे
दुख घुल के बेनिशां धुलते रहे,
ऐसा कायदा, वैसे तरीके
कौन जाने कभी सीखा नहीं लिख कर
तरीका प्यार जताने का ,
उड़ेलते गए उड़ेलते गए
जब जब मौका मिला बताने का – Pragya Mishra 13 फ़रवरी 2.38AM
यह सब लिखते लिखते जब कल 2 बजे के आस पास में टूटा और रुंआसा महसूस कर रही थी बार बार दादी माँ की तस्वीर को देख अपने आप को समेटने की कोशिश कर रही थी उस समय पिता जी पूर्णियाँ में हार्ट अटैक की अवस्था मे थे।
आज सुबह अपनी बेचैनी का सबब मालूम हुआ तो पैरों के नीचे से ज़मीन खिसकने की नौबत है। पापा ICU में हैं और उनके स्टेबल होने का इंतिज़ार है कि कब बात होगी।
मुझे एक बुरे एहसास ने बिल्कुल नहीं छुआ है इस बार इसलिए मैं मैन रही हूँ कि सब ठीक होगा।
अजीब सा एहसास होता है मुझे जैसे होशो हवास रहते अंदर कहीं नीचे गिरते जा रहे हों, भीतर कुछ पेट को खाली कर धड़ाम से गिर पड़ा हो , ये एहसास इस बार अब तक नहीं हुआ मुझे मतलब मेरी छत और ज़मीन दोनों मेरे साथ रहेंगे।
Pragya Mishra – 13 Feb 11:31 AM
