क्षणिकाएँ हिरण हृदय Date: July 17, 2021Author: Pragya@shatadal 0 Comments हिरण हृदय मुकेश कुमार सिन्हा द्वारा संचालित गूँज साहित्यिक समूह में नियमित कार्यक्रम के हिसाब से क्षणिका लिखी। मेरा हृदय जैसे हिरण है, तुम्हारी स्मृतियों में कुलाँचे भरता है,हरी घास के बिछौने सा नर्म बादलों पर उतरता है। shatdalradioPrintTweetShare on TumblrPocketTelegramLike this:Like Loading... Related