बिहार के बाढ़ की समस्या पर इतना मार्मिक लिखा और सोनू निगम की आवाज़ में पूरा न्याय हुआ है इसके साथ। Saurav Kashyap बहुत बहुत धन्यवाद इसे साझा करने के लिए।
कितना मार्मिक है। अचानक विरक्ति सी हो रही। वाकई कितने सपने संजोते हैं बिहारी ग्राम्य जीवन में भोले लोग और क्षण में सब कुछ बह जाता है। दुःख और पीड़ा को स्वर देकर हमेशा के लिए स्मृति में सजल नेत्रों से गाया और सुने जाने वाला गीत है यह। भाषा में देसी शब्दों और यथास्थान नामों के प्रयोग के कारण बाढ़ की विभीषिका का सारा दृश्य सामने नाच उठता है। यह गीत श्रोता के भीतर करुण रस का संचार कर संताप और दमित पीड़ा से मुक्त करता है।