
कोजागरा गीत
हमर पिया के आइ कोजगरा
बँटतय पान मखान
आँगन अरिपन ठाँव पीढ़िक ओरियान।
कौड़ बाती चानी के खेलथिन थारी मे
भौजी बैसथिन कौड़ीक संग अगारी मे
हँस्सी ठठ्ठा खूब बजरतय सबहक मुँह मुस्कान
आँगन अरिपन ठाँव पीढ़िक ओरियान।
नवकनियाँ हम घरहि मे बैसल रहबय
घोक तानिकय टुकुर टुकुर ताकैत रहबै
सुनल जे एहि मे कनियाँ संगे नहि होइ छैक चुमान
आँगन अरिपन ठाँव पीढ़िक ओरियान।
भोज भात आ बैन तिहारक खूब जोगार
भरिगाम भोरे भोरे परि गेलैक हकार
संगहि संगे चलि रहल छै मणिकांत लिखल गान
आँगन अरिपन ठाँव पीढ़िक ओरियान।
-मणिकांत झा, दरभंगा,१७-१०-२१