खरना पूजा आज
कल नहाय खाय के बाद आज खरना पूजा सम्पन्न । रोसड़ा से मेरी प्यारी बड़ी ननद किरण दीदी और उनकी देवरानी जी की तस्वीर आयी, तसवीर भांजी आराधना ने भेजी, मैं पिछले वर्ष इसी दौरान रोसड़ा में दीदी के घर हो आयी, छत पर से शानदार नज़ारा होता है।
छठी मैया सूर्य की किरण हैं और धरती को आठ मिनट के अंदर पोषण दे कर सौर ऊर्जा से जीवन चालयमान रखती हैं। किरण दीदी छठ करती हैं अपने बेटे बेटियों और घर भर के लोगों की सुख शांति चल अचल सम्पत्ति स्थिर लक्ष्मी स्वास्थ विद्याधन सब सुरक्षित रखने की प्रार्थना में छठ करती हैं। हिरनी सी आंखों वाली किरण दीदी का आँचल बहुत बड़ा है जिसमें घर के लोगों के लिए सुख की कामना बाँध कर रखी हुई है। डाला उठता है हो दीदी हँसती भी होगी , आँख छलकी भी होती होगी। ममतामयी स्त्री पुरुषों की आँखें सुरुजमल के आगे भर जाएंगी, खुशी में आंसू जो बहते हैं, ताल को मीठा कर देते है।
कुशहर से मम्मी जी ने आशीर्वाद स्वरूप तस्वीर भेजी है। ग्राम घर का सुख पिछले नवम्बर में हमने भी लिया था। इस बरस मुम्बई में छठ की याद है, अगले वर्ष छठ भी होगा। इस घड़ी आइये तस्वीर का आनंद लें अभी , मैं भी आप भी।
ग्राम्य जीवन का भोलापन
भारत भूमि पर लौटाइये
छठी माता सब पर कृपा बरसाईये
*((
जय छठी मैया,
डाला भर फल सब्जी
आजीवन सबको मिलता रहे
प्राणियों में कुपोषण मिटे
कोई बच्चा भूखा न रहे।
ऊंच नीच का भेद मिटा कर
पूरे प्राणी जगत पर
जैसे उड़ेलती हो एक समान दुलार
वैसे समदृष्टि से भर देना संसार।
सिखाना वैदिक वसुधैव कुटुम्बकम्
भीतर का भेद भाव हर लेना
दुनिया को तुम्हारी ज़रूरत
देखो अब और ज़्यादा है ना ।
बुद्धि दो कि उपजाऊ मृदा को
सीमेंट से पाटना अदूरदर्शी है,
मिट्टी को मारना बुरा होता है ना।
बुद्द्धि दो कि बढ़ रही है आबादी
ऐसे में खेती बचाना ज़रूरी होता है ना।
बुद्धि दो कि पेड़ लगाने है,
काटना बिल्कुल नहीं,
बुध्दि दो कि पेड़ पर कील नहीं ठोकनी ,
पेड़ पौधों को भी दर्द होता है ना।
मनुष्य यहाँ-वहाँ चल सकते है
पेड़ चलते नहीं, खड़े पर्वतासन में
छठी मैया की प्रतीक्षा करते हैं
पेड़ पौधे तो तुम्हारे बच्चे हैं ना।
माँ बुद्धि दो कि पेड़ न काटे जाएं,
जलाशय कचरे से न भरे जायें
लोग मिट्टी और किसान से प्रेम जताएं
बड़े छोटे अमीर गरीब
सभी फल सब्ज़ियां उगाएं
इसी में धरती का भला है ना।
विनाशकाले विपरीत बुद्धि की मार से
मनुष्य का युग बचा लेना
पीढियां प्रदूषण रहित जिएं
निरन्तर ऐसे उपाय देना
हे छठी मैया !
भस्मासुर हो गया है मानव
हमें कृत्रिमता के वरदान युक्त
शापित जीवन से उबारा जाना चाहिए
हे छठी मैया! आपकी आराधना कर
हमें प्राकृतिक जीवन शैली में
फिर लौट जाना चाहिये ।
प्रज्ञा मिश्र

