Zika #virus संक्रमण, संक्रमित एडीज इजिप्टी (Aedes aegypti) मच्छर के काटने से फैल रहा है, सावधानी बरतें।
यह मच्छर दिन में काटता है। मुख्य रूप से सुबह सुबह मॉर्निंग वॉक वाला समय यानी प्रातः पाँच बजे से सात बजे का समय और दोपहर बाद यानी शाम चार से पाँच बजे के दौरान ।
इस मच्छर से :
- डेंगू
- चिकनगुनया
- येल्लो फ़ीवर भी होता है।
गर्भवती महिलाएं खास ध्यान रखें। इससे नवजात शिशुओं को माइक्रोसेफेली (microcephaly) का खतरा रहता है। शिशु का सर छोटा और दिमाग अविकसित रह जाता है। 2015 में ब्राज़ील में यह एपिडेमिक के तौर पर आया था।
Zika Virus की खोज 1947 में हुई थी। भारत में पहली बार यह 2016 और 2017 में गुजरात एवं तमिलनाडु में रिपोर्ट किया गया था। भारत में आज यह सार्वजिनक स्वास्थ के लिए सबसे बड़े खतरे के तौर पर उभर रहा है। 2018 के बाद राजस्थान , मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र में भी क़ई केस रिपोर्ट किये गए हैं।
2019 में AIIMS, नई दिल्ली और National Vector Born Disease Control Programme के शोधकर्ताओं ने एक रिसर्च पेपर जारी किया जिसमें बताया गया कि, संक्रामक बीमारियों के संक्रमण को मॉनिटर करने वाले सीरो सर्वे या एंटीबॉडी सर्वे (Serological Survey) में Zika Virus को भारत में 1950 में भी डॉक्यूमेंट किया गया था। इस शोध पत्र में दो जटिलताओं के कारण से इसे खरतनाक बीमारी माना गया है –
- Guillain-Barre Syndrome – इस लक्षण के अन्तर्गत हमारे अपने शरीर का immune system (प्रतिरक्षण प्रणाली) , ग़लती से हमारे nervous statement (तंत्रिका प्रणाली) के एक हिस्से पर अटैक करने लगती है।
- Congenital Defects -जन्मजात दोष
उपलब्ध जानकारी के अनुसार भारत में अभी तक Zika की वजह से न्यूरोलॉजिकल डिफेक्ट (तंत्रिका विकार) नहीं पाए गए हैं।
यह तय है कि कोविड की मार से आर्थिक रूप से बदहाल लोगों के लिए Zika बहुत बुरी समस्या खड़ी करेगा क्योंकि यह गरीब बस्तियों और ऐसे इलाकों के आसपास अधिक हो रहा है जहाँ खुला नाला, टूटी पानी भरी सड़कें, खुले गटर, खुले में बिखरा कचरा पसरा रहता है।
हाल में ZiKa Virus , कानपुर, उत्तर प्रदेश में फैला है, जिसकी पड़ताल अक्टूबर महीने में बहुत ही अचानक हुई है। इस समय National Communicable Disease Control (NCDC) की एक टीम दो हफ़्तों से कानपुर में कैंप लगा कर स्थिति को काबू में करने की कोशिश कर रही है। बुखार से पीड़ित लोगों, बच्चों और गर्भवतियों को क्रेंद में रख कर बचाव कार्य किया जा रहा है। सफ़ाई पर ध्यान दिया जा रहा है। संक्रमित क्षेत्र में रह रहे भारतीय वायुसेना के अधिकारियों में खासा रोष है कि यह साफ़ सफ़ाई यदि पहले हुई होती तो Zika (ज़ीका) इस खतरनाक स्वरूप में कभी न बढ़ पाता।
कानपुर की गंदगी के चर्चे हम अक्सरहाँ फेसबुक मित्रों की पोस्ट पर पढ़कर मज़ाक में उड़ाते आये हैं जबकि ऐसी बातों का सिविक बॉडी को संज्ञान लेकर सफ़ाई के लिए काम करना चाहिए था। मैं कानपुर नहीं गयी हूँ आज तक अख़बारों और मित्रों के माध्यम से ही वहाँ के बारे में सुनती रही हूँ।
एक तरह के रेट्रोस्पेक्टिव एप्रोच की ज़रूरत है कि नागरिक भी सिविक बॉडी का साथ दे साथ ही समय रहते उनके काम पर प्रश्न उठाये । अपने आस पास सफाई रखने और गन्दगी को हटाने के प्रयास अपने स्तर पर भी करें, शिकायत लगातार दर्ज करें।
प्रज्ञा मिश्र
१०-११-२०२१
(हैदर नक़वी, हिंदुस्तान टाइम्स के आर्टिकल से तथ्य लिए गये हैं)