बंटवारे में बड़ा नुकसान होता है
बच्चों और बुजुर्गों का,
बेवक्त बड़े हो जाते हैं बच्चे,
बूढ़ों का कोई नामलेवा नहीं बचता,
वो लगभग बोझा हैं
उन्हें हिटलर के हवाले करने की
धमकियां मिलती हैं
जैसे दीवार में चुना कर ही चैन मिलेगा

घरों का, खेतों का, दिलों का ,
सरहदों का बटवारा
देखा है जिस- जिस ने
सब के घावों को
अश्वत्थामा जैसा एक शाप मिला है
जो लोग करवाते आए हैं बटवारे
उन्हें भी खाली हाथ मर जाने का गिला है

(जिन बातों पर बहुत कुछ कहा और लिखा जा सकता है अक्सर उन बातों को झेलकर जी जाने वाले लोग एकदम चुप हो जाते हैं, उनकी ज़बान में बात गड़ जाती हैं, दफ़न हो जाती है, उनकी आंखें बोलती हैं, बोलते बोलते छलक जाती हैं)

प्रज्ञा मिश्र
मुंबई
2.00AM
24/07/2022

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