✍🏼✍🏼✍🏼✍🏼✍🏼✍🏼✍🏼✍🏼
पर्यवेक्षक की डेस्क से
Mentza Science Week के तहत रेडियो प्लेबैक इंडिया हिन्दी कम्युनिटी के सदस्यों द्वारा आज दिनांक 24 सितम्बर 2022 को चार ऑडियो सर्कल्स प्रस्तुत किये गए।
सबसे पहला सर्कल सुबह 11 बजे शतदल रेडियो पर प्रज्ञा मिश्र द्वारा प्रस्तुत किया गया । इस सर्कल में ‘मिनामाता’ बीमारी पर चर्चा हुई । प्रज्ञा मिश्र ने बताया कि चीसो कार्पोरेशन और ‘मिनामाता’ रोग जो जापान में प्रदूषण से संबंधित स्वास्थ्य क्षति का एक विशिष्ट उदाहरण है, पहली बार 1956 में कुमामोटो प्रान्त में मिनामाता खाड़ी के आसपास और 1965 में निगाटा प्रान्त में अगानो नदी बेसिन में खोजा गया था । बीमारी के बारे में पता लगने के बाद बीमारी फैलने के कारणों की जांच की गई है, और अंत में 1968 में, सरकार ने अपनी राय घोषित की कि मिनामाता रोग एक रासायनिक संयंत्र से निकलने वाले मिथाइलमेरकरी यौगिक द्वारा दूषित मछली और शंख की खपत के कारण हुआ था ।
डॉ.वसुधा मिश्र ने इंडस्ट्रियल वेस्ट मैनेजमेंट पर आवश्यक टिप्पणी प्रस्तुत की और विशेष प्रकार के वृक्षारोपण के माध्यम से हेवी मेटल अब्सोर्पशन समस्या के समाधान पर चर्चा की।
शरद कोकास ने ‘नमामि गंगे परियोजना पर संक्षिप्त वार्ता के साथ भारत में होने वाले प्रयासों का उल्लेख किया साथ ही पर्यावरण और नदियों के संरक्षण हेतु सरकार और नागरिकों के दायित्वों का ब्यौरा प्रस्तुत किया ।
दूसरा सर्कल ‘बुद्धिमता, भोजन, और करुणा’ शनिवार शाम 7 बजे आयोजक: पूजा अनिल, तथा अनुराग शर्मा द्वारा प्रस्तुत किया जिसमे नीलम मिश्रा , डॉ वसुधा मिश्रा , व अरिसूदन ने वक्ता के रूप में अपनी भागीदारी दर्ज की ।
वार्ता के आरम्भ में ब्रिटेन के सन 1970 के 8000 छात्रों के आईक्यू अध्ययन का उल्लेख हुआ ।वक्ताओं ने बताया कि इस अध्ययन में यह पाया गया था कि सर्वोत्तम आईक्यू वाले छात्र 30 वर्ष की आयु तक पहुंचते पहुंचते शाकाहारी हो गये थे, यद्यपि वे धनाढ्य नहीं थे लेकिन उनकी जीवन शैली बेहतर थी । इसके अलावा अन्य ऐसे कई अध्ययनों पर भी बात हुई जिनमें उच्च आईक्यू का सम्बंध दीर्घायु होने के साथ-साथ मानसिक व्याधियों व एलर्जी से सम्बन्धित पाया गया था । बौद्धिकता के साथ भावनात्मक परिपक्वता के सम्बन्ध पर भी बात की गई एक ऐसे अध्ययन के विषय में भी बात की गई जिसमे यह निष्कर्ष निकाला गया था कि उच्च स्तरीय बौद्धिकता के लोगों में आत्महत्या की घटनाएँ कम होती हैं इसके अलावा मांस-व्यापार द्वारा होने वाले जलवायु प्रदूषण, जंगल कटाई, व अन्न के अति-उपभोग पर भी बात हुई ।
आज का तीसरा सर्कल सायं 8 बजे मन मशीन चैनल के इनिशिएटर शरद कोकास द्वारा प्रस्तुत किया गया इसका शीर्षक बहुत रोचक था ‘कपड़ों में अपने आप कैसे आग लग जाती थी‘ इस सर्कल में प्रज्ञा मिश्र और वसुधा मिश्र ने वक्ता के रूप में भाग लिया ।
इस सर्कल की विशेष उपलब्धि यह रही कि इसमें अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के राष्ट्रीय महासचिव हरीश देशमुख ने विशेष वक्ता के रूप में भाग लिया । हरीश जी विगत चालीस वर्षों से महाराष्ट्र और आसपास के क्षेत्रों में वैज्ञानिक चेतना के विकास और अंधश्रद्धा निर्मूलन के कार्यों में लगे हैं
इस सर्कल में महाराष्ट्र में होने वाले एक अन्धविश्वास ‘भानामति’ जिसे काला जादू भी कहा जाता है पर चर्चा की गई । शरद कोकास ने एक ऐसी रोचक घटना का वर्णन किया जिसमे अपने आप घर के कपड़ों में आग लग जाती है, साड़ी के दो टुकड़े हो जाते हैं । हरीश जी ने एक लड़की की आँख से निकलने वाले कच्चे चावल और उसके द्वारा लोगों को धोखा दिए जाने के एक प्रकरण का उल्लेख किया । डॉ वसुधा मिश्र ने कम उम्र की लड़कियों की मनोभावना, उपेक्षा के फलस्वरूप आने वाले डिप्रेशन और उनके द्वारा ध्यान आकर्षित किये जाने के प्रयास में किये जाने वाले ऐसे कार्यों के पीछे के मनोविज्ञानिक कारणों की पड़ताल की ।
चौथा व अंतिम सर्कल रात्रि 8 बजे संपन्न हुआ ऋचा शर्मा द्वारा प्रस्तुत इस सर्कल में पर्यावरण , पौधों की उपयोगिता तथा बगीचों और पार्कों की आवश्यकता पर बात की गई ऋचा शर्मा ने बहुत विस्तार से पौधों और वृक्षारोपण की आवश्यकता पर बल दिया उहोने बताया कि आज ग्लोबल वार्मिंग के अलार्म की वजह से यह बही आवश्यक हो गया है कि हम आने वाले खतरों को जाने
डॉ शाम्भवी राजगोपाल ने पर्यावरण को लेकर जन मानसिकता की बात की उन्होंने कहा कि जनता के बीच सोशल मीडिया के माध्यम से पर्यावरण को लेकर अनेक भ्रांतियां फैलाई जाती हैं जैसे कहा जाता है कि यात्रा करते हुए ट्रेन या बस की खिड़की से बीज फेंकते हुए चलो जिससे पेड़ उग जायेंगे यह गलत है ऐसे पेड़ नहीं उगते उन्हें विधिवत रोपा जाना जरुरी होता है
सैम किसान ने पर्यावरण और कृषि पर न्म्हत्व्पूर्ण बातें कही शरद कोकास ने पर्यावरण के संतुलन में पेड़ों की उपयोगिता पर बात करते हुए अपनी चर्चित कविता ‘ बच्चों की तरह होते हैं पेड़ / पुचकारो नहीं तो रूठ जाते हैं / उपेक्षा की आँधियों में टूट जाते हैं “ का पाठ किया ।
रपट प्रस्तुति :शरद कोकास