आज मैं बोरीवली वाले ऑफिस गई, लंच ब्रेक के दौरान, ऑफिस में एक अनुभवी क्वालिटी मैनेजर से बात चीत शुरू हुई। उन्होंने चिकन ऑर्डर किया, उन्होंने बताया कि उनको नॉन्वेजिटेरियन खाना पसंद है, फिर मुझसे मेरी रुचि पूछी, मैंने कहा मुझे नॉनवेज से कोई आपत्ति नहीं है, पर मैं शाकाहारी हूं।

मेरा शाकाहारी होना अपनी पहचान से कट जाने जैसा है, शायद मैं जैसी थी उससे भागने जैसा, या शायद मैं बेहतर होना चाहती हूं, शांत रस में भीगा मनुष्य जिसकी विवेचना श्री श्री करते हैं। पर बेहतर होने के लिए मैंने अपना जन्मदिन क्यों छोड़ दिया, क्यों मुझे इतनी दिक्कत है अपने जन्मदिन से। शायद जिसने मुझे जन्म दिया उसके अस्तित्व को बार बार याद नहीं करना चाहती हूं, तो क्या मैं कृतघ्न हूं?

यदि ऐसा है तो मैंने अपने पॉडकास्ट का अपने ब्लॉग का नाम शतदल क्यों रखा ?

रुजुता नाम है उनका जिनसे मैं बात कर रही थी , उनका चेहरा भी दादी मां से मिलता है, बहुत लंबी हैं, जिम्मेदार प्रभावशाली महिला। जाने मुझे हर स्त्री में मम्मी और दादी मां क्यों दिखने लगती है। शायद इसलिए कि मैं परेशान थी।

सीढ़ियों से जाते मैंने अचानक रुजुता को बोला कि मैं आपके साथ खाना खाने जा सकती हूं क्या? उन्होंने बड़े ही ममता भरे मुस्कान से कहा ” हां हां क्यों नहीं”।

खाने में आज वेज कोरमा था। बात चीत में कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव। खाना जितनी देर चला बात चली। थोड़ी देर बाद, टी वी स्क्रीन से बाहर निकल कर एक दूसरे का चेहरा देख कर बात होने लगी।

रुजुता ने बताया कि अपने जीवन में जो भी सीखा मुश्किलें उठा कर। हर किसी को मार्ग दर्शक नहीं मिलते कुछ लोगों को अपनी गलतियां अपनी सीख अपने lessons सब भुगत के समझने पड़ते हैं, ये रास्ता लंबा ज़रूर होता है लेकिन पक्का होता है। फिर भी इस रास्ते में भी कोई एक ऐसा आदमी जीवन में होना चाहिए जिसे हम सब कुछ बता सकें।

अपने मन का घुमड़ता बवंडर भीतर रखना अच्छी बात नहीं होती, यह फूटता है तो बम धमाके की तरह जिसमें हमारे आस पास सब घायल हो जाते हैं। जो जम रहा है उसे बह जाना चाहिए।

छ: साल पहले बोरीवली के होमियोपैथी डॉक्टर निशांत गांधी ने मुझसे पूछा था, आपके जीवन में ऐसा कौन है इन व्हूम यू कैन कनफाइड। मैं ब्लैंक हो गई थी, मेरा गला भर गया था, मैने कहा आई कांट थिंक ऑफ़, क्योंकि मुझे दोस्त और परिवार में कोई ऐसा नज़र नहीं आया, ईशा भी नहीं, आलोक भी नहीं। नहीं मैं इनके पास भी सबकुछ नहीं कह सकती। जाने मुझे हेल्प लेने में इतनी दिक्कत क्यों होती है।

रुजुता ने कहा उनका बेटा ऐसा व्यक्ति है उनके जीवन में जिससे वो सब सलाह लेती है। वो ये नहीं सोचती कि कोई उम्र में छोटा होगा तो उससे बातें शेयर या कोई सलाह नहीं ले सकते। सभी अपने अपने अनुभव से मदद कर पाते हैं।

खाना खत्म हो गया बात समाप्त हो गई, जाते जाते रुजुता ने कहा

In life we need to see and deal with real problems, real problems are those which do not have a solution and life is full of such unsolved situations, we need find out closest option to go on .

आज दोपहर ये ख्याल मेरे दिमाग से मोबाइल नोट पर लिखे गए

असली समस्याएं

प्रज्ञा मिश्र

१८-१०-२०२२

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