छठि गीत
विनती करियौ स्वीकार यौ दीनानाथ
भेलहुँ जल बीच ठाढ़
बाँसे दोग होइयौ बहार यौ दीनानाथ
हटतय आब अन्हार।
रंग बिरंगक अर्घ सजौलहुँ
कोसिया और कूड़वार
ओहि पर जगमग दीप जरौलहुँ
श्रद्धा भक्ति अपार यौ दीनानाथ
भेलहुँ जल बीच ठाढ़।
सुप कोनसुप्ती ढाकन सरबा
मंडप अछि कुशियार
ठकुआ पुरी टिकुरी खजुरिया
गुड़क बनल कसार यौ दीनानाथ
भेलहुँ जल बीच ठाढ़।
देह समांग निरोग बनाबी
रोग ओ दुख करी पार
मणिकांत आबि शीश नमाबय
सुनियौ शीघ्र गोहार यौ दीनानाथ
भेलहुँ जल बीच ठाढ़।
-मणिकांत झा, दरभंगा,१०-११-२१
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कार्तिक महात्यम
पाबनिक मोटरी बान्हिक’ आयल
कार्तिक केर सुंदर महिना
सब दिन अछि त्यौहारक अवसर
किछु ने किछुओ रोजीना।
सुख सुकराती दीया बाती जम्मक दीया पहिने
झारि बहारी आँगन घर के नीपि पोति क’ रखने
दीप जराबी प्रेमक सबतरि लक्ष्मी अयती अंगना
पाबनिक मोटरी बान्हिक’ आयल
कार्तिक केर सुंदर महिना।
भाइ बहिनक स्नेहक पाबनि नाम एकर छै भरदूतिया
पान सुपारी कुम्हरक फूल अंकुरी जे राखल जितिया
भाइक और्दा बढ़य ओहिना जेना जल गंगा जमुना
पाबनिक मोटरी बान्हिक’ आयल
कार्तिक केर सुंदर महिना।
राणा माइ संग छठि परमेश्वरी हाथ उठाबै छी दिनकर
नेम टेम से सब क्यो करय पाबनि होइ छै बड़ करगर
नयाय खाय सँ शुरू होय आ साँझ अर्घ खरना परना
पाबनिक मोटरी बान्हिक’ आयल
कार्तिक केर सुंदर महिना।
साम चकेबा बहिनो खेलथि पसरल सगरे गीतक तान
वृंदावन मे आगि लगय आ सतभैंया दौड़थि मिझान
भाइक मुँह मे पान शोभे आ चुगिला के करिखा चूना
पाबनिक मोटरी बान्हिक’ आयल
कार्तिक केर सुंदर महिना।
गोपाष्टमी गौ के पूजा मेला लागय बहुतो ठाम
अक्षय नवमी धात्री तर मे भोज चलय छै गामे गाम
माल जाल के डोरी बदली गरदामक संग झुनझुना
पाबनिक मोटरी बान्हिक’ आयल
कार्तिक केर सुंदर महिना।
देवोत्थान एकादशी व्रत के चर्चा होइ छै सगरे टोल
विद्यापति अवसान दिवस के पहिने संग रहल अनघोल
कतिकी पूर्णिमा मणिकांत सेहो गंगा कयलनि स्नाना
पाबनिक मोटरी बान्हिक’ आयल
कार्तिक केर सुंदर महिना।
-मणिकांत झा, दरभंगा,२६-१०-२१
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छठि गीत सोहर
छठिक पाबनि लगिचायल दिन गुनायल हे
आहे कार्तिक शुक्लक षष्ठी आ सतमी लिखायल हे।
करबनि सूर्य आराधन मन हम राखल हे
आहे दिनकर दीनानाथ दया केर सागर हे।
नदी पोखरि घाट बनतय साफ चहुदिश हैत हे।
हटत कचड़ा डाभ कुश सब गोबर सँ निपैत हे।।
छिट्टा डाला पथिया कोनसुप आनब हे
आहे पाकल केरा घौर के आनि क’ टाँगब हे।
सरबा कोसिया कूड़बार ढाकन माँटि दीप जरैब हे।
कुसियार मंडप जल मध्ये खुब नीक सँ बनबैब हे।।
मणिकांत गीतक गायन संग संग चलतय हे
आहे राणा मइया सहाय कि हाथ दूइ उठतय हे।
-मणिकांत झा, दरभंगा,१५-१०-२२
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कार्तिक मास गीत
तुलसी मे दीप बारि लगेबय धियान गे
भरि कार्तिक भोरे भोर करबय स्नान गे।
आँखि मिरैते पराती हम गायब
भोला बाबा केँ मन सँ सुनायब
गंगाक सुमिरन आ हुनके बखान गे
भरि कार्तिक भोरे भोर करबय स्नान गे।
अरबा अरबानि सेहो नित दिन खायब
आकाशदीप बारि क’ गगन लहरायब
पंडित जी मुख सुनब कथा पुरान गे
भरि कार्तिक भोरे भोर करबय स्नान गे।
छठि दिवाली ओ विद्यापति पर्वे
भरदूतिया सामा चकेवा पर गर्वे
तीसो दिन पाबनि आ मणिकांतक गान गे
भरि कार्तिक भोरे भोर करबय स्नान गे।
-मणिकांत झा, दरभंगा,१६-१०-२२
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आरती छठि
छठि परमेश्वरी के आरती उतारि लियौन हे
दिनकर दीनानाथक आरती गाबि दियौन हे।
रोग व्याधि सब दूर भगाबथि
सुख समृद्धि के घर मे लाबथि
आँचर पर नटुआ नचाइ दियौन हे
छठि परमेश्वरी के आरती उतारि लियौन हे।
हिनकर व्रत के जेब कयलनि
मनक मनोरथ पूरा भेलनि
कुरनी पर दीप के बारि दियौन हे
छठि परमेश्वरी के आरती उतारि लियौन हे
राणा माइ केर महिमा अपारे
केहनो पापी के करथि उद्धारे
मणिकांत संग चरण पखारि दियौन हे
छठि परमेश्वरी के आरती उतारि लियौन हे।
-मणिकांत झा, दरभंगा,२०-१०-२२
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छठि गीत
छठिक ब्रत हम रखलहुँ
लगबी आब बेरा पार
अहीँक आश पर सहलहुँ
दिनकर दानी सरकार।
कोसिया ढाकन सरबा
आनल हम कुसियार
हाथी कुरनी नारियर
लागल सबटा पसार।
उगियौ शीघ्र हे दीनानाथ
छी हम जल बीच ठार
आब ने एतबा जँचियौ
काँपय एक एक हाड़।
अनधन संतति दीय
सुखिया भरि परिवार
मणिकांत विनती सुनियौ
विनय अछि बारंबार।
-मणिकांत झा, दरभंगा,२८-१०-२३