मेरी पढ़ाई दिल्ली विश्विद्यालय के श्री गुरुतेग बहादुर खालसा महाविद्यालय से हुई है। यहां मैं साल 2004 से 2007 तक रही। महाविद्यालय में पढ़ने के दौरान मुझपे सिख धर्म और पंजाबी समुदाय का बड़ा सकारात्मक प्रभाव पड़ा। कॉलेज प्रांगण में बने गुरद्वारे में मत्था टेकने जाना नियमित होता रहा।
मैने बचपन में पढ़ा था कि सनातन अनुयायी ऋषि संत आदि मुसलमानों से अपनी रक्षा नहीं कर पा रहे थे इसलिए भारतीय धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए जिस धर्म का प्रादुर्भाव हुआ वह सिख धर्म था जिसमें सभी योद्धा होते हैं। ऐसे योद्धा जिनके मूल में शांति और ज्ञान का वास है। गुरु ग्रंथ साहिब को भगवान मानने वाले इस धर्म में मुझे बड़ी शांति मिली।
मुझे याद है रितिका, आशिमा, शेफाली और अपने कॉलेज के अभी सरदार एवम पंजाबी मित्रों के साथ मैने अगणित बार बंगला साहिब , कनाट प्लेस में मत्था टेका है।
कॉलेज के दिनों में हमारे इनॉर्गेनिक केमिस्ट्री के टीचर थे, हरप्रीत सिंह सर, वो अपने पढ़ाने के तरीके के कारण मेरे पसंदीदा प्रोफेसर थे। जगजीत सिंह की आवाज़ में गाई गई उनकी मोबाइल कॉलर ट्यून साल 2005 से ही मेरे दिमाग की वायरिंग में बस गई जो इस प्रकार है
Muk Jande Ne Jism Ta,
Par Aatma Amar Hai,
Jide Ang Sang Prabhu Hai,
Onu Phir Kisda Daar Hai…
Satnam Shri Waheguru
Satnam Shri Waheguru
Ehi naam hai sahara
Ehi naam hai adhara
यह धुन बहुत शांति प्रदान करती है। नौकरी के कुछ साल पश्चात एक बार किसी शिक्षक दिवस पर हरप्रीत सर का नंबर खोज कर फोन लगाया था तब भी यही धुन कॉलर ट्यून में थी। कॉलेज के दिनों यादें ताज़ा हो गईं थीं।
मुझे जीवन में निरंतर कुछ अलग करने और सीखने की ललक बनी रहती है, आजकल नौकरी के साथ साथ podcasting में कोशिश आज़मा रही हूं, मैं यूं तो साहित्यकार बनना चाहती थी पर मुझे हमेशा महसूस होता है की मेरा अध्ययन उतना गंभीर नहीं है और न तो पढ़ने की उतनी गति इसलिए सबको पढ़ने सुनने का तरीका और खुद को सिखाने का तरीका मुझे ऑडियो पॉडकास्टिंग लगा, तो यही सही।
मैं अप्रैल 2022 से रेडियो प्लेबैक नाम की एक संस्था के साथ राग लेगसी पॉडकास्ट करती हूं, जो Mentza पर रिकॉर्ड होता है और Mentza के मध्यम से Spotify पर भी उपलब्ध कराया जाता है। इस पॉडकास्ट को करते हुए कवियत्री गायिका मेघना जी से मिलना हो गया, जो चंडीगढ़ की हैं और मनुज मेहता के clubhouse शाम ए शायरी इवेंट में ऑनलाइन आती रहीं है । मेघना जी के सुझाव से गायक गुरबीर सिंह जी को जानना हुआ, जिनको जानने के बाद हमने गायकी में ईश्वर तत्त्व को महसूस किया।
पिछले दिनों मैने गुरबीर जी से आग्रह किया कि इस दौर और समय में सबसे अच्छी बात होगी की प्रेम और सौहार्द के संदेश गाए जाएं, उनका त सुझाव आया कि, ” बेटे मैं गुर्जरी तोडी में अवल अल्लाह नूर गुरबानी प्रस्तुत करता हूं यह सुंदर संदेश देती है” , मैंने बिना विलंब उनका समय पॉडकास्ट के लिए ले लिया।
अवल अल्ला नूर, केअलावा बहुत सुंदर एक और Gurbani गाई गई जिसे लोगों ने पसंद किया और बेहद मेडिटेटिव अनुभूति हुई , संगीत में बड़ी ताकत है। हमने हमारे शो का नाम दिया Celebrate Universal Brotherhood with Gurbani इस नाम का चयन गुरबीर सिंह जी की सहमति से हुआ।
Universal brotherhood with gurbani program was conducted on Raag Legacy PODCAST on Sunday 11 AM

आइए आपको अब बताएं कि कौन हैं गुरबीर सिंह जी
गुरबीर सिंह पेशे से यांत्रिक अभियंता( मेकैनिकल इंजीनियर) और दिल से गायक हैं। इनकी रियाईश चंडीगढ़ की है और यह एक सैनिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। इन्हीं के शब्दों में कहें तो "संगीत इनकी रगों में दौड़ता है" क्योंकि इनके माता पिता दोनों मुक्कमल गायक हैं। इन्होंने बॉलीवुड के गीतों का गायन कम उम्र में ही शुरू कर दिया था और बाद में राग पर आधारित ग़ज़ल गायन को पूरे जज़्बे से सीखा। मेहंदी हसन और जगजीत सिंह इनके पसंदीदा गायक हैं। गुरबीर जी की बहुआयामी गायन प्रतिभा उनको कुदरत की देन है, जिसको निखारने में इनकी रूहदारी, मधुर आवाज़ और भारतीय रागों की समझ भी शामिल है। बीते कुछ सालों में इन्होंने कई समागम समारोहों में गुरबाणी के शबदों द्वारा हाज़री भरी है। इसके साथ ही इन्होंने निजी ग़ज़ल संध्याओं में गीतों के पारखियों के सामने देश विदेश में अपनी कला प्रस्तुत करी है।

अव्वल अल्लाह नूर उपाया
कुदरत के सब बंदे,
एक नूर ते सब जग उपजाया
कौन भले को मंदे,
अव्वल अल्लाह नूर उपाया
कुदरत के सब बंदे
लोगा भ्रमी न भूलहु भाई
भरमि न भूलहु भाई,
खालिकु खल्क खल्क माहि
खालिकु पूरी रहियो सब थाई,
अव्वल अल्लाह नूर उपाया
कुदरत के सब बंदे
माटी एक अनेक भाँती
करी साजी सजन्हारे,
ना कुझ पोच माटी के भांडे
न कुछ पोच कुंभारे,
अव्वल अल्लाह नूर उपाया
कुदरत के सब बंदे
सब माहि सचा एको सोई
तिस न किया सब कुछ होई,
हुक्म पछाने सु एको
जाने बंदा कहिए सोई,
अव्वल अल्लाह नूर उपाया
कुदरत के सब बंदे
Listen on Raag Legacy Menzta link
https://on.mentza.com/circles/39740
We shall shortly upload this podcast on Spotify and share link in same article. Stay tuned.
Listen Gurbani on Shatdalradio Spotify
Waheguru ji da Khalsa
Waheguru ji di fateh
Thankyou
Pragya Mishra
wow…..so beautifully expressed…..keep sharing and enlightening
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❤️☺️
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गुरबीर जी को सुनना बहुत अच्छा लगता है वह चाहे गुरबाणी का गायन करें या गजलों का उनकी आवाज का उतार-चढ़ाव और उसकी खनक मन मोह लेती है गुरुवाणी सुनते हुए तो आंखें नम हो जाती हैं ।शतदल रेडियो को इस प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं
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धन्यवाद
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