फरवरी में ज़िंदगी

जीवन में रुतबा बनाने के लिए
मेहनत की गर्म आंच लगती है।

आंच में धीमी तो कभी तेज़ पकती है
ज़िंदगी धीरे धीरे रंग पकड़ती है।

संदली छटाओं और पीत आभा में
हरियाली खिलखिला कर हँसती है।

फरवरी में ज़िंदगी #बसंत लगती है।

प्रज्ञा मिश्र
Shatdalradio

तस्वीर और ख्याल सुबह किचन से

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