गले मिलने का दिन
प्रेम बचा रहना चाहिए। प्रेम और कविताएं सभ्यता की आख़िरी उम्मीद हैं। जीवन की शुष्कता से उखड़ कर लोग स्नेह और आर्द्रता की तलाश में भटकते रहते हैं, ऐसे में पीली धूप और गुलाबी चेरी वाला बसन्त प्रेम में किये वादे की तरह लौटता है।
मीठे बोल दुर्लभ हैं, कोमल मृदुल व्यवहार कायरता नहीं है। लेकिन हमारे भारतीय घरों में अक्सरहाँ डाँट डाँट लीक पर रखना और कड़क परवरिश देना संस्कार माना गया। फ़िर भी ज़रा सी ठंडक माँ के गले से लग कर मिलती है सर्वस्व मिल जाता है। गले लगने पर एहसास होता है कि प्रेम के स्त्रोत की गरमाहट में ही ठंडक है, कलेजे की ठंडक।
गले लगाया जाना जरूरी है।
आपस में प्रेम बढ़ता रहे इसलिए ज़रूरी है कि आपसी रिश्तों में, मित्रता में,गले लग कर प्रेम की अभिव्यक्ति होती रहे।
चूँकि मैं केमिस्ट्री की छात्रा रही हूँ तो बायो
केमिस्ट्री की भूमिका मुझे आकर्षित करती रही है। विज्ञान कहता है कि अभिभावक , प्रेमी जोड़े, पति-पत्नी , मित्रजन इन सबको आलिंगन का महत्त्व मालूम हो। हम में से अधिकांश लोग प्रेम और आलिंगन से बढ़ने वाले हार्मोन और उसके असर के बारे में शायद ही जानते हों। लेकिन थैंक्स तो इंस्टाग्राम reels अब तो रोचक तरीकों से इसके बारे में प्रचार होता है।
प्रेम से बात करने से, मुस्करा कर व्यवहार करने से, गले लगाने से, प्रशंसा करने से और हाथ थाम आश्वासन देने से, साथ हँसने से, चॉकलेट खाने से, व्यायाम करने से हमारे शरीर में प्रसन्नता की भावना को बढ़ावा देने वाले हार्मोन बनते हैं। इन तमाम गतिविधियों से शरीर में सेरोटोनिन, ऑक्सिटोसिन, डोपामीन और एंड्रोर्फिन का रिसाव जाता है जिसे हैपिनेस हार्मोन कहते हैं।
यह छुपे हॉर्मोन असर डालते हैं हमारे भीतर सूख रही प्रेमधारा पर। ज़रा सी छुअन बदल सकती है रिश्तों के उलझते तार, थोड़ा सा जताया प्रेम कितने घर बचा सकता है। अवसाद ग्रस्त को आत्महत्या से रोक सकता है।
गले लगने या कडल करने की क्रिया से उतपन्न होती है “ऑक्सीटोसिन” इसे लव हॉर्मोन भी कहते हैं, यह शरीर में बढ़ते स्ट्रेस लेवल यानी तनाव को कम करती है, और प्रेम की भावनाएं जगाती है। अक्सर जानवरो की प्रजातियों में गले रगड़कर आपस में प्रेम जताने के व्यवहार देखा जाता है। इंसानों में भी नवजात गर्भ से निकल तनाव से बिलखता है तो माँ उसे कस कर गले लगाए रखती है और वो चुप हो जाता है। ऐसे ही अवसाद ग्रस्त लोगों को प्यारी सी झप्पी बंटता मुन्ना भाई दुनिया का सबसे बुद्धिमान डॉक्टर कहा जाए तो अतिश्योक्ति थोड़ी है। तनाव कम हो जाये तो कितनी बीमारियाँ शरीर में घर न बनाएं।
सौहार्द के प्रतीक में ईद के दौरान मुसलमान भाईओं का गले लगना भी तो कुछ ऐसा ही है प्रेम और आपसी सम्बन्धों को बल देने जैसा।
घरों में बच्चे माँ बाप से और माँ बाप बच्चों से कह नहीं पाते, कि हाँ हम तुमसे प्रेम रखते हैं, प्रेमी जोड़े भी विवाहोपरांत प्रेम की अभिव्यक्तियाँ तमाम औपचारिकताओं में भूल के दो सिरों में टूटते नज़र आते हैं। अरेन्ज मैरिज में कई बार सालों प्रेम पनपने में ही लग जाते हैं।
ऐसे में अपनों का जब तब हाथ थाम प्रेम जताने, गले लगाने का रिवाज़ सुंदर है।
बच्चों को, अपने प्रियजन को, मित्र को हैप्पीनेस हार्मोन का तोहफ़ा दें आज।
प्रज्ञा मिश्र