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मैं प्रज्ञा हूं। पूरा नाम प्रज्ञा मिश्र। मेरे पति श्री आलोक मिश्र हैं, वे मुंबई के महाविद्यालय में गणित के प्राध्यापक हैं । हम दो हमारे दो का परिवार है। मैंने अपनी पढ़ाई विज्ञान में की। नौकरी सूचना प्रोद्योगिकी में कर रही हूं। हिंदी भाषा बचपन से रुचि का विषय रही है इसलिए लिखने पढ़ने का प्रयास कर रही हूं।

बीच बीच में पॉडकास्टिंग करती रहती हूं, अच्छा लगता है, सप्ताहांत अनुशासित रहता है और समय का सदुपयोग होता है , इसलिए।
पढ़ाई में कंम्प्यूटर एप्लीकेशन (2012) , एवं हिंदी(2021) से स्नातकोत्तर हूं।
भारतीय शास्रीय संगीत में गन्धर्व द्वितीय वर्ष के लिए श्रीमती अनिता दास जी से प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हूं ।

नाम
जब घर में प्रेम था तब मेरा नाम *प्राची पद्मजा* था और कक्षा चार आते आते जब प्रेम के सिवा पूरी दुनिया घर में प्रवेश कर चुकी थी तब से मुझे *प्रज्ञा झा* नाम से दुनिया से रूबरू होना था। शादी के बाद से अब तक प्रज्ञा मिश्र हूं, इसी पर लंबी पारी में टिकने का इरादा है।

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डिजिटल मोड

पहली रचना ऑनलाइन डिजिटल प्रकाशित हुई थी जिसका शीर्षक था “तिलोत्तमा” जो एक ऐसी स्त्री के ऊपर कविता लिखने की कोशिश थी जिसका नाम उसके घर के रिश्तों के साथ उसकी पहचान जोड़ कर पुकारने में कभी कोई जान नहीं पाता, फिर अपनी मां के परिवेश से सीख लेते उसकी बेटी अपनी शादी के बाद ऐसा नहीं होने देती। पुनीत कुसुम को पसंद आई थी तो उन्होंने हिंदी वेबसाइट पोषम पा पर डाली, काफी सराही गई मुझे अच्छा लगा, लिख पढ़ने के शौक को उड़ान मिली ।

प्रत्रिका/दिनांक
प्रिंट मोड में कविताएं
अक्टूबर 2019 साहित्यनामा पत्रिका (मुंबई)
जनवरी 2020 सुखनवर (भोपाल)
जुलाई 2021 प्रणाम पर्यटन (लखनऊ)
जुलाई 2022 संवदिया (अररिया)

अब तक संग्रह
अब तक 8 साझा संग्रहों में कविताएं आईं हैं जिनमें प्रमुख हैं
शब्दांकुर प्रकाशन से काव्यांकुर सात (2019)
संपादक विभूति भूषण झा की इन्नर (2020)
रवीना प्रकाशन से प्रारंभ (2021)
धरती होती है मां, बोधि प्रकाशन (2022)
शतरंग , समर प्रकाशन (2023)

अन्य उपलब्धियां
🎙️रिश्तों की एहमियत पर लिखी *आम का अचार* कविता का मुंबई के प्रसिद्ध “The Habitat” से यूट्यूब प्रसारण। इसी कविता के लिए दिल्ली की साहित्यिक संस्था मुक्तांगन से जुलाई 2018 में प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ था।
🎙️*www.shatadal.com* blog का संचालन

भ्रमण
पिताजी की transferable नौकरी के कारण जीवन का अधिकांश समय भारत के विभिन्न क्षेत्रों में रहते या घूमते बीता है जिनमें से तीन प्रमुख नाम हैं
बाड़मेर , राजस्थान
तवांग, अरुणाचल प्रदेश
अल्मोड़ा, उत्तराखंड
इन तीनों ही जगहों से मेरी बड़ी प्रिय यादें हैं।
इसके अलावा व्यक्तिगत रूप से मुझे भगवान शिव से जुड़े तीर्थ स्थानों पर दर्शन हेतु जाना अच्छा लगता है।
इसके अलावा मुझे सपरिवार घूमना पसंद है, हाल ही में हम मनाली रोहतांग यात्रा पर गए और देवभूमि का अनुभव किया। मैं पूजा पाठ में बहुत नियमित तो नहीं हूं लेकिन मुझे भारतीय ऐतिहासिक पौराणिक पूज्य स्थलों पर जाना और वहां के बारे में जानकारियां हासिल करना पसंद है।

सम्मान
1.बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन शताब्दी सम्मान 2019
2. iblogger टॉप टेन ब्लॉगर प्रतियोगिता 2019 में पाँचवा स्थान।

शहर जहां रहते हैं
यूं तो मैं यादों के शहर में रहती हूं। लेकिन हाड़ मांस की देह का पूर्णकालिक पता कभी बिहार था अब मुंबई ही होकर रह गया है।

वैकल्पिक फोन नंबर
पतिदेव का नंबर। उनके पास ही सब विकल्प रहते हैं। ( ओनर बेंचमार्क ट्यूटोरियल मुंबई कांदिवली ईस्ट)।

आत्म कथ्य दो वाक्यों में। ⏺️⏺️⏺️
खुद को जानने के प्रयास में हूं। मेरे दो बेटे हैं दोनो के पीछे लगती रहती हूं। वो सो जाते हैं तो देर रात मोबाइल पर दिनचर्या लिखने का प्रयास करती हूं। अभी तक मैं अपने प्रति पूरी तरह से ईमानदार नहीं हुई हूं। अभी आत्म कथ्य में समय लगेगा।

इंस्टाग्राम ID – @shatdalradio

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