दुनिया भर में चक्रवातीय तूफ़ानों की संख्या बढ़ी है क्योंकि विभिन्न कारणों से कार्बन उत्सर्जन बढ़ा। वातावरण के कार्बन डाइऑक्साइड को सबसे ज्यादा मात्रा में पेड़ नहीं महासागर संतुलित करते हैं। महासागर CO२ एब्जॉर्ब करते हैं।
कार्बन डाइऑक्साइड एक ग्रीन हाउस गैस होती है, मतलब उसके मोलेक्यूल में वो गर्मी को पकड़ के रखती है। इस करना महासागर के सतह का तापमान बढ़ता है। उदाहरण के तौर पर आज की तारीख में अरब सागर के सतह का तापमान ३५ डिग्री बढ़ गया है। यह जलवायु परिवर्तन का कारक बना है, जलवायु परिवर्तन एक दो दिन में नहीं होते इसे तीस वर्ष की अवधि तक स्टडी कर के समझा जाता है।
जलवायु परिवर्तन और समुद्री सतह का तापमान बढ़ने के कारण समुद्री चक्रवात अब अधिक आने लगे। जिससे देश के तटीय क्षेत्र बहुत प्रभावित हैं।
पश्चिम बंगाल के अम्फान के बारे में पढ़ा जाना चाहिए जिसके दौरान फोन लाइनों के माध्यम से कितने कितने दिन बड़ी बड़ी कंपनियों ने अपना कार्यालय जैसे तैसे चालू रखा था क्योंकि न इंटरनेट था, न बिजली सेवा।
इसी तरह महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्रों को निसर्ग ने तबाह किया था। इसके भी बारे में जानना चाहिए। मई के साथ ही डर बैठा जा रहा है, कि अब तूफान गर्मी के कारण आते हैं, पहले बस मानसून के करना आते थे। मौसम ठंडा सुहाना लगता है लेकिन ये बहुत डरावना सुहानापन है जो देश में सूखे और महामारी की स्थिति बढ़ा सकता है।
बंगाल और ओढ़िशा के तटीय क्षेत्र समुद्र में विलीन हो रहे हैं, गांव के गांव जिसमें कभी खेती होती थी या तो कट के वह गए या जमीन समुद्र निगल गया। कुछ ऐसे भी उदाहरण मिल जायेंगे जहां ज़मीन कागज़ों पर ग्रामीण के नाम है लेकिन असलियत में समुद्र खा गया है फिर भी जिसकी जमीन थी, वो उसकी टैक्स भर रहा था।
भारत का तटीय प्रदेश बहुत बड़ा है जिसके कारण नीली क्रांति में उसे बहुत मुनाफा है लेकिन साथ ही बढ़ते समुद्री तूफान से , आंध्र और चेन्नई जैसे राज्य आए दिन तबाह होते हैं।
देश में एनडीआरएफ मुस्तैदी अच्छी है, निपटने के प्रावधान भी अच्छे हैं लेकिन अंतिम आदमी की सहायता के लिए क्या काफी हैं?
जल जमाव, बाढ़ और उसके बाद बीमारी, इलाज का खर्चा, असमय मृत्यु, परिवार के कमाऊ कम उम्र का काम पर जाने के खतरे उठाना और मर जाना कितने दुखों का पहाड़ है।
साइक्लोन के कारण विस्थापन बढ़ा, विस्थापन के कारण गरीबी बढ़ी। ग्लोबल वार्मिंग कितना घातक है आप समझ रहे हैं न?
अंतर्देशीय विस्थापन के और भी कई कारण हैं जैसे हवा प्रदूषण, जल प्रदूषण, ग्राउंड वाटर टेबल खतम हो जाना, ज़मीन धंसना आदि। खराब हवा और खराब पानी के कारण होने वाला आंतरिक विस्थापन हमको दिखाई नहीं दे रहा लेकिन भारत में भीतर ही भीतर बड़े आंकड़ों में सुरसा जैसा मूंह फाड़े विस्थापन लोगों के घर, उनके सपने, उनकी यादें सब कुछ लील रहा है।
प्रज्ञा मिश्र