⚫ वर्ल्ड बी कीपिंग दिवस पर कनुप्रिया को याद करते हुए

प्रसिद्ध साहित्यकार स्व. गंगा प्रसाद विमल की पुत्री कनुप्रिया,धर्मवीर भारती की कविता से अपना नाम लेकर आई थी।
दिल्ली के सेंट स्टीफेंस महाविद्यालय से स्नातक और आई आई एफ टी से एमबीए, अनुशासित जीवन जीने वाली कनुप्रिया, मॉडलिंग और मिस इंडिया की दुनिया छोड़ टीवी में आई और एक सफल पत्रकार होने के बाद आगे चलकर वर्ष 2012 से कृषि क्षेत्र से जुड़ गईं।

वे ग्रामीण इलाकों में सहज महसूस करती थीं, जैसे वही उनका अपना घर था और अपने काम के एक हिस्से के रूप में भारत के कुछ दूरदराज के गांवों का दौरा करती रही थीं।

कृषि से घनिष्ठ जुड़ाव ने उन्हें इस क्षेत्र की कुछ सबसे बड़ी चुनौतियों का एहसास दिलाया। उन्होंने महसूस किया कि अगर गांवों में आर्थिक स्थिति में सुधार करना है तो ग्रामीण महिलाओं को आय-सृजन करे वाली गतिविधियों में सशक्त और प्रशिक्षित करना होगा ताकि वे भी देश की जीडीपी में योगदान दे सकें।

चूँकि ये महिलाएँ उन क्षेत्रों में रहती थीं जहाँ प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता थी, कनुप्रिया ने उन्हें मधुमक्खी पालन में प्रशिक्षित करने का फैसला किया क्योंकि वो मधुमक्खी पालन को एक आभासी सोने की खान मानती थीं।

कनुप्रिया ने इन प्रशिक्षणों का आयोजन अपने सोशली सस्टेनेबल स्टार्ट-अप BeePositive++ के माध्यम से किया, जिसे उन्होंने 2016 में स्थापित किया था।

BeePositive++ को भारत के प्रमुख संस्थान-भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT)-दिल्ली द्वारा एक विशेष मेंटरशिप प्रोग्राम के लिए चुना गया जिसके साथ ही संस्था को अनुदान भी दिया गया।

BeePositive++ को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा उत्कृष्टता पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था। यह वर्ष 2017 की बात है, उस समय कनुप्रिया महज़ 36 वर्ष की थीं।

उसी वर्ष एक पत्र को दिए गए साक्षात्कार में कनुप्रिया का मानना था:
“किसानों को बचाने का सबसे अच्छा तरीका उन्हें खेती से जुड़ी आय के पूरक स्रोतों जैसे डेयरी, मधुमक्खी पालन, मत्स्य पालन आदि को अपनाने में मदद करना है, साथ ही उन्हें रसद, फसल कटाई के बाद के प्रबंधन, खाद्य प्रसंस्करण पर भी प्रशिक्षित करना है। उन्हें शहरी स्टेकहोल्डर्स के लिए सॉफ्ट स्किल्स और मार्केटिंग सीखने की आवश्यकता है।”

दिसंबर 2019 में श्रीलंका में गाले से कोलम्बो जाते समय एक सड़क दुर्घटना गंगा प्रसाद विमल जी, उनकी पुत्री कनुप्रिया और पौत्र श्रेयस का निधन हो गया। यह देश के लिए हर तरह से बहुत बड़ी क्षति थी जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती। कनुप्रिया इंसानियत के सबसे अच्छे गुणों को प्रतिष्ठित करने के लिए समर्पित थीं। उनका जीवन हमें विश्वास दिलाता है कि एक व्यक्ति सीमित समय में बहुत कुछ कर सकता है।

प्रज्ञा मिश्र
Shatdalradio
(सारी जानकारी गूगल, ट्विटर से शोध के आधार पर)

worldbeeday2023

23/05/23

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